Bhaskar News Agency
Nov 04, 2019
लखीमपुर खीरी(अमित कुमार पाल) तीन सितंबर से 25 नवंबर तक 82 दिन में 64 बच्चों की कुपोषण से मौत होने का खुलासा होने से स्वास्थ्य महकमे में खलबली मच गई है। सीडीओ ने इस मामले पर बुधवार को एक बैठक बुलाई है, जिसमें बच्चों की देखरेख करने की जिम्मेदारी निभा रहीं आशा वर्कर के चयन, उनको होने वाले भुगतान सहित कार्य करने वाली और न करने वालीं आशाओं के दस्तावेज तलब किए हैं। इसको लेकर डीपीएमयू कार्यालय में मंगलवार को दस्तावेज तैयार किए जाते रहे। अस्पताल और घर में जन्म लेने वाले नवजात तंदुरुस्त रहें, इसलिए इनकी देखभाल के लिए शासन एचबीएनसी कार्यक्रम चला रहा है। इसमें आशाओं को अस्पताल में जन्म लेने वाले बच्चों के घर का 42 दिन तक छह बार और घर पर जन्मे बच्चे के घर का सात बार भ्रमण करना होता है। इसके लिए आशा वर्कर्स को 250 रुपये मानदेय दिया जाता है। आशा वर्कर बच्चों की देखरेख कर रही हैं कि नहीं इसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी आशा संगिनी और बीसीपीएम की होती है। मगर, न तो आशाएं घर का भ्रमण करती हैं और न ही इनकी मॉनिटरिंग होती है। ऐसे में घर और अस्पताल में पैदा हुए बच्चे सही देखरेख न होने के कारण कुपोषण और बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। जो उनकी मौत का कारण बनता है। कुपोषण से बच्चों की मौत का खुलासा होने के बाद सीडीओ ने एचबीएनसी कार्यक्रम से जुड़े दस्तावेज बुधवार की बैठक में तलब किए हैं। इससे डीपीएमयू (जिला कार्यक्रम प्रबंधन इकाई) कार्यालय में अफरातफरी है। मंगलवार की रात तक कार्यालय में ब्लॉकों से बीसीपीएम को बुलाकर दस्तावेज तैयार कराने का काम होता रहा।