Bhaskar News Agency
Nov 20, 2019
सीतापुर( विमलेश मिश्रा) सकरन सीतापुर–आपको बताते चलें कि विकासखंड सकरन के ग्राम पंचायत मानपुर सिकरी में स्वच्छता अभियान के तहत बनाए गए इज्जत घरों में ग्राम पंचायत अधिकारी वाह प्रधान की मिलीभगत से आधे अधूरे बने इज्जत घर क्या ग्राम प्रधान ग्राम पंचायत अधिकारी प्रदीप चौधरी के ने अपने रिश्तेदारों को ठेका को देकर बनवाया इसलिए अभी निर्माणाधीनपडे हैं अभी तक आधे अधूरे निर्माणाधीन शौचालय सरकार के मंसूबों पर पानी फेरने वाले भ्रस्ट अधिकारी अपनी मनमानी के चलते योगी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा कर रही है साथ ही प्रधानमंत्री ड्रीम ड्रीम प्रोजेक्ट स्वच्छता अभियान के तहत स्वच्छता अभियान का दावा कर रही है वहीं पर अधिकारी अपनी मनमानी के चलते कागजों पर स्वच्छता का दावा कर रहे हैं वही देखा जाए जमीनी स्तर पर तो हालत बहुत ही दयनीय है स्वच्छता अभियान की हकीकत देखने पावर ऑफ जनाधिकार टीम विकासखंड सांडा सकरन के ग्राम पंचायत मानपुर सिकरी पहुंची तो हकीकत खुलकर सामने आई देखा कि हकीकत में सरकार के आदेशों का पालन किस प्रकारके नियम लागू किया गया है लोगों का कहना है कि उपरोक्त शौचालयों में पैसे की मांग है जो पैसा देगा काम उसी का होगा लिस्ट में नाम होने पर पैसा न देने पर शौचालय नहीं दिया जाता है सूत्र बताते हैं जो पात्र नहीं है पक्के मकान गाड़ी घोड़ा सब मौजूद है शौचालय भी उन लोगों को भी इन लोगों को 10000 की चेकों का के माध्यम से शौचालयों की चेक मुहैया कराई गई हैं सूत्रों की माने तो मिली जानकारी वहीं पर सबसे बड़ा आरोप ग्राम पंचायत अधिकारी प्रदीप चौधरी पर अपने साले को शौचालय बनवाने का ठेका देकर किया
लेकिन कोई एक भी ऐसा शौचालय नहीं बना जिसमें लाभार्थी शौच के लिए जा सके जिसके लिए आरोप ग्राम पंचायत के लाभार्थियों ने लगाया जैसे रामकुमार पुत्र रामविलास खेलावन पुत्र उपरोक्त ठाकुर पुत्र शंभू रामपाल पुत्र शंभू सोनेलाल पुत्र काली-काली दिन पुत्र प्यारेलाल काली दिन कुसुम इत्यादि लोगों ने ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए काली दिन कुसुम इत्यादि लोगों ने ग्राम पंचायत अधिकारी व ग्राम प्रधान पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहां कि अपने रिश्तेदारों को ठेका देकर शौचालय बनवाया गया जिससे अभी तक आधे अधूरे शौचालय बने पड़े हुए हैं और अगर लाभार्थियों को डायरेक्ट चेक के माध्यम से लाभार्थी को चेक दी गई होती तो आधे अधूरे शौचालय बने नहीं पढ़े होते अब देखना यह है कि क्या कोई सक्षम अधिकारी इसकी जमीनी स्तर से जांच होगी या यूँ ही चलती रहेगी डगमग नईया।