Bhaskar News Agency
नई दिल्ली – दिल्ली-एनसीअार में गंभीर स्तर तक पहुंच चुके प्रदूषण काे नियंत्रित करने में नाकामी पर सुप्रीम काेर्ट ने बुधवार काे केंद्र सरकार के साथ ही पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के मुख्य सचिवाें काे कड़ी फटकार लगाई। काेर्ट ने कहा कि अगर सरकाराें काे लाेगाें की चिंता नहीं है ताे उन्हें सत्ता में रहने का काेई हक नहीं। पराली की समस्या के समाधान के लिए सात दिन की डेडलाइन तय की गई है।
पंजाब, हरियाणा और उत्तरप्रदेश काे पराली नहीं जलाने वाले छाेटेे और सीमांत किसानाें काे 100 रुपए क्विंटल की दर से मदद भी देनी हाेगी। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने पराली की समस्या का सही समाधान नहीं देने पर मुख्य सचिवाें से कहा कि समस्या के लिए वह खुद जिम्मेदार हैं। दो दिन पूर्व प्रदूषण समस्या को लेकर किसानों से सहानुभूति नहीं होने की टिप्पणी पर यू-टर्न लेते हुए काेर्ट ने कहा कि कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। किसानाें के हिताें का ध्यान रखना सरकार का कर्तव्य है। पराली जलाने पर दंडित करना उचित समाधान नहीं है। उन्हें उचित सुविधाएं मिलनी चाहिए। किसान संकट में है। पराली जलाते हैं तो चालान होता है, अगर ऐसा नहीं करते तो अगली फसल नहीं मिलती।
केंद्र, पंजाब, हरियाणा, यूपी व दिल्ली सरकार काे सुप्रीम काेर्ट की फटकार
केंद्र से कहा- लोकतांत्रिक
तरीके से चुनी सरकार कैसे कह सकती है कि कुछ नहीं हो सकता केंद्र की अाेर से अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल अाैर साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने काेर्ट से कहा कि गरीब किसानों के पास पराली जलाने के अलावा काेई विकल्प नहीं। पंजाब को 7 जोन में बांटकर पराली अलग-अलग समय पर जला सकते हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में अटाॅर्नी एेसे सुझाव नहीं दे सकता। पूरे साल आपने कुछ नहीं किया। आप सोचते हैं कि सिर्फ गरीब किसानों को सजा मिले और आप फ्री रहें। वेणुगाेपाल ने कहा कि दाे लाख किसानों को नियंत्रित नहीं कर सकते। काेर्ट ने यह सुझाव खारिज कर दिया।