पवार-उद्धव की बैठक के बाद 12 दिन का राष्ट्रपति शासन 12 घंटे में खत्म , देवेंद्र फडवणीस फिर बने मुख्मंत्री

Bhaskar News Agency

Nov 23, 2019

महाराष्ट्र (संजय) महाराष्ट्र विधानसभा के 24 अक्टूबर को नतीजे आए, लेकिन भाजपा-शिवसेना के बीच बात बिगड़ती चली गई। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की सिफारिश पर 12 नवंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया। 12 दिन का यह राष्ट्रपति शासन शुक्रवार रात से शनिवार सुबह तक चले 12 घंटे से भी कम वक्त के घटनाक्रम में खत्म हो गया। दैनिक भास्कर को मिली अब तक की जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात राकांपा प्रमुख शरद पवार और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के बीच बैठक खत्म होने के बाद पवार के भतीजे अजित सक्रिय हुए और उन्होंने आधी रात काे भाजपा से एकतरफा गठबंधन कर लिया।

पृष्ठभूमि : मोदी ने राकांपा सांसदों की तारीफ की, पवार मोदी से मिले

  • बीते सोमवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यसभा के 250वें सत्र को संबोधित करने के दौरान राकांपा सांसदों की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था- राकांपा के सांसदों ने नियमों का पालन किया और कभी सदन के वेल में नहीं आए। यह अनुशासन दूसरों को भी सीखना चाहिए।
  • इसके दो दिन बाद बीते बुधवार को शरद पवार ने मोदी से दिल्ली में मुलाकात की। कहा गया कि यह मुलाकात किसानों के मुद्दे पर थी, लेकिन इससे इन कयासों को बल मिला कि शिवसेना को सत्ता की दौड़ से बाहर रखने के लिए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राकांपा प्रमुख से बातचीत कर रहा है।

अजित पवार के बगावत करने की वजह
बताया जा रहा है कि जब शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा में सरकार गठन को लेकर बात चल रही थी, तब कांग्रेस गृह, राजस्व विभाग और स्पीकर के पद के लिए अड़ी थी। राकांपा स्पीकर का पद और राजस्व विभाग पर दावा छोड़ने को तो राजी हो गई, लेकिन नई सरकार में वह गृह और वित्त विभाग अपने पास रखना चाहती थी। इसी वजह से शुक्रवार को तीनों दलों की संयुक्त बैठक में विभागों के बंटवारे पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला। इस मुद्दे पर शनिवार दोपहर को बात होनी थी। अजित पवार इस पूरी बातचीत से असंतुष्ट थे। इसलिए भाजपा से उपमुख्यमंत्री पद का ऑफर मिलने के बाद उन्होंने पाला बदल लिया।