Bhaskar News Agency
Oct. 05, 2019
बरेली (के.पी सिंह4675) चिन्यमयानंद, छात्रा और उसके दोस्तों की आवाज का मिलान कराने के लिए नमूना लेने को एसआईटी की ओर से कोर्ट में दी गई रिमांड अर्जी के खिलाफ सभी आरोपियों की ओर से मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में आपत्ति दाखिल की गई। इस पर शुक्रवार को बहस हुई। बहस पूरी होने के बाद कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित रख लिया। कोर्ट शनिवार को अपना फैसला सुनाएगा।
संजय, सचिन, विक्रम की आवाज का नमूना लेने के लिए रिमांड पर लिए जाने से पहले युवकों के वकील प्रमोद तिवारी ने सीजेएम ओमवीर सिंह की कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया कि अभियुक्तों को कोर्ट में तलब किया जाए और उनसे पूछा जाए कि क्या वह आवाज का नमूना देने को तैयार हैं या नहीं। इस पर दोपहर 2:30 बजे बहस हुई। इसके बाद तीन बजे कोर्ट ने प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया। तब फिर अधिवक्ता प्रमोद तिवारी ने दोबारा 3:30 बजे कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि अभियुक्त 15 दिन से न्यायिक अभिरक्षा में हैं, इसलिए न्यायिक से पुलिस अभिरक्षा में नहीं दिया जा सकता।
मूल हार्ड डिस्क (कंप्यूटर), मोबाइल कुछ भी बरामद नहीं हुआ है। इसलिए जांच नहीं हो सकती। अधिवक्ता ने आगे कहा कि संविधान के अनुच्छेद 20 (3) के अनुसार किसी को उसके खिलाफ साक्ष्य देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। लिहाजा प्रार्थना पत्र विधिक और तथ्यात्मक रूप से त्रुटिपूर्ण है। उन्होंने कहा कि एसआईटी राजनीतिक दबाव में गलत विवेचना कर रही है। किस प्रावधान के तहत प्रार्थना पत्र दिया गया है। इसका उल्लेख एसआईटी ने नहीं किया है।
वहीं चिन्मयानंद के अधिवक्ता मनेंद्र सिंह और दुष्कर्म पीड़ित छात्रा के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने भी इसी तरह के तर्क रखते हुए बहस की। हालांकि चिन्मयानंद के अधिवक्ता मनेंद्र सिंह ने उनके स्वास्थ्य का भी हवाला देते हुए कहा कि उनकी तबीयत ठीक नहीं है, जो कि उन्हें लखनऊ ले जाया जा सके।
हीं छात्रा के अधिवक्ता अनूप त्रिवेदी ने तर्क देते हुए कहा कि एसआईटी पहले ही प्रेस कांफ्रेंस करके खुलासे संबंधी सारी बातें बता चुकी है। पीड़ित को केवल हतोत्साहित करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। बहस को सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। शनिवार को निर्णय सुनाया जाएगा।