उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेशों की धज्जियां उडाते जिम्मेदार ,स्वास्थ्य, शिक्षा, सडक जैसी मूलभूत सुविधाओं का बुरा हाल

Bhaskar News Agency

Nov 23, 2019

हरदोई/सवायजपुर।प्रदेश की स्थिति का आकलन स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क से किया जाता है जहाँ उ०प्र० में तीनों की स्थिति में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है जिसके जिम्मेदार नौकरशाह हैं जो सरकार को गुमराह करने का कार्य करतें हैं।
एक ओर जहाँ सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने अभी हाल ही में अपने अधीनस्थों की क्लास लगाकर स्वास्थ्य और शिक्षा की बदहाली पर कड़ी फटकार लगाई थी वहीं दूसरी ओर निचले स्तर पर कोई भी सुधार होता हुआ नहीं दिखाई पड़ रहा है, शिक्षक बच्चों के भविष्य से खिलावाड़ करके अपना जुगाड़ फिट करने में पारंगत हैं, शिक्षा की दयनीय स्थिति के लिए निश्चित ही उच्चाधिकारी ही जिम्मेदार हैं ऐसा नहीं है कि जिम्मेदारों को धरातल की जानकारी नहीं है जबकि देश की मीडिया, शोसल मीडिया के माध्यम से लगातार मामले उजागर होते रहतें हैं किन्तु अधिकारी अपने कार्यालयों में ही बैठकर गलत सलत आख्याएँ तैयार कर लेतें हैं और सूबे के मुखिया को गुमराह करने का कार्य करते हैं परिषदीय विद्यालयों की दयनीय स्थिति को लेकर समय समय पर संसद में भी मुद्दा उठाया जाता रहा है किन्तु समय गया और बात गई और अधिकारियों की बल्ले नजर आती है।
भरखनी खंड शिक्षा अधिकारी सुचि गुप्ता के संरक्षण में बगैर विद्यालय में जाये ही शिक्षकों को हर माह वेतन का भुगतान सुलभता हो जाये इसके लिये ऐसे लापरवाह शिक्षकों को मूल वेतन से कुछ हिस्सा खंड शिक्षा अधिकारी को बतौर चढ़ौती चढ़ानी पड़ती और फिर उन्हें पूरे माह का वेतन आसानी से आहरण करने की हरी झंडी मिल जाती है। हैरानी की बात तो देखिए खंड शिक्षा अधिकारी प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ के निर्देशों का किस तरह से पालन कर झूठी आख्यायें भेज कर बीएसए तक को गुमराह करने से नहीं चूक रहीं हैं। रही सही कसर एनपीआरसी प्रेमशंकर पूरी कर देते हैं। क्योंकि इन दोनों को गांवों में रहने वाले बच्चों के भविष्य से कुछ भी लेना देना नहीं है। वह तो बस परिषदीय विद्यालयों में नौकरी कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलबाड़ करने पर तुले हुये हैं।
मीडिया टीम शनिवार को ग्यारह बजे के लगभग भरखनी विकासखंड के ग्राम लखनौर पहुंची तो वहां प्राथमिक विद्यालय और उच्च प्राथमिक विद्यालय में बच्चे इधर-उधर टहलते मिले। इस पर टीम ने पास में टहल रहे बच्चों को बुलाकर विद्यालय के शिक्षकों के विद्यालय में ना होने का कारण जानना चाहा तो उनका साफ कहना था कि इन दोनों विद्यालयों में महीने में एक या दो दिन के लिये सभी शिक्षक आते है। बाकी दिन ऐसा ही रहता है। गाँव के युवकों ने यह भी बताया कि विद्यालय में कभी कभार ही मध्यान्ह भोजन बनता है।
विद्यालय प्रांगण में दो आंगनवाड़ी केंद्र हैं जिसमें
लखनौर आंगनवाडी प्रथम केंद्र पर आंगनवाडी कार्यकत्री रामकान्ति मौजूद मिली और सहायिका सुमन देवी अनुपस्थित थी। जबकि लखनौर आंगनवाडी
द्वितीय केंद्र पर आंगनवाडी कार्यकत्री रेनू दिनकर अनुपस्थित थी और सहायिका मंजू देवी उपस्थित थी।लेकिन दोनों केंद्रों पर एक भी बच्चा उपस्थित नहीं था।
पूछने पर रामकान्ति ने बताया कि बच्चे लाने का मेरा काम नही हैं।
जब उक्त संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी सुचि गुप्ता से उनके मोबाइल नंबर पर जानकारी करनी चाही तो उन्होंने फोन कॉल ही रिसीब नही की उनका रवैया ही ऐसा है कि स्कूल समय में किसी का भी फोन रिसीव नहीं करतीं हैं अगर अचानक फोन रिसीव भी कर लिया तो स्कूलों के बारें में अगर कोई जानकारी या स्पष्टीकरण चाहा जाता है तो वह मीटिंग आदि में कहकर फोन काट देतीं हैं। जब उक्त संबंध में एनपीआरसी प्रेमशंकर जी से चाही तो उन्होंने बड़ा ही हास्यापद उत्तर देते हुये बताया कि हमारे न्याय पंचायत में ऐसे अनेकों शिक्षक हैं जो ज्यादातर दिनों में विद्यालय से गायब रहते है। ऐसे शिक्षकों के बारे में वह अपनी आख्या खंड शिक्षा अधिकारी सुचि गुप्ता को देते रहते हैं। लेकिन वह ऐसे लापरवाह शिक्षकों से लक्ष्मी चढ़ौती कराकर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को भी गुमराह करती रहती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि लखनौर गांव के ही जूनियर विद्यालय में तैनात अनुदेशक धीरजपाल और शशिप्रभा व प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षा मित्र लाली देवी और शिक्षा मित्र रजनी त्रिवेदी भी यदाकदा विद्यालय में दर्शन देने आते हैं। रजनी त्रिवेदी अपने स्थान पर लखनौर गांव के ही गुनकर पुत्र वेदप्रकाश को 2000 रुपये देकर प्राथमिक विद्यालय में शिक्षण कार्य करवा रही है।
एनपीआरसी का कहना था कि वैसे भी उनके पास काम ही अधिकता होने की वजह से वह न्याय पंचायत के गांवों में भ्रमण नहीं कर पाते हैं। यदि उन्होंने अपनी भ्रमण आख्या जो सत्य होती है उसको वह खंड शिक्षा अधिकारी को देते हैं तो वह आग बबूला हो जाती हैं और फिर अपने तरीके से निरीक्षण आख्या तैयार करवाती हैं। मैं तो अपना काम ईमानदारी से करना चाहता हूं लेकिन हमारी खंड शिक्षा अधिकारी ईमानदारी से काम करना पसंद नहीं करती हैं। हालांकि जब कभी कभार खुलने वाले कुंडऊ के प्राथमिक विद्यालय के बारे में बीएसए राजेश शाही को मोबाइल पर जानकारी दी तो उन्होंने अपने वाटसाप नंबर पर बंद विद्यालय की फोटो भेजने की बात करते हुये कहा कि वह ऐसे लापरवाह शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाही ही नहीं बल्कि उन्हें निलंबन तक करने की बात कही है देखना यह है कि परिषदीय विद्यालयों में कितना सुधार देखने को मिलेगा या जिम्मेदार सूबे के मुखिया को गुमराह करने का कार्य जारी रखतें हैं।