Bhaskar News Agency
Sep 30, 2019
आगरा (प्रियेश 4658)आगरा के मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि सिक्यॉरिटी, टाइमिंग और अन्य सुविधाओं को तय करने के बाद इस सुविधा की शुरुआत की जाएगी। सामान्य दिनों में हम इस सुविधा को सुबह तथा शाम के वक्त कुछ घंटों के लिए शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। वहीं पूर्णिमा की चांदनी रात में इसके लिए कुछ विशेष घंटे तय होंगे।’दुनियाभर से ताजमहल को देखने आने वाले पर्यटकों को अक्टूबर महीने से दिन डूबने के बाद भी इस ऐतिहासिक इमारत की झलक नसीब होगी। पूर्णिमा को चांदनी रात में यमुना के किनारों से देखने के लिए बस अगले महीने का ही इंतजार करना है।
आगरा के मंडलायुक्त अनिल कुमार ने बताया कि सिक्यॉरिटी, टाइमिंग और अन्य सुविधाओं को तय करने के बाद इस सुविधा की शुरुआत की जाएगी। उन्होंने कहा, ‘सामान्य दिनों में हम इस सुविधा को सुबह के वक्त कुछ घंटों के लिए तथा शाम के वक्त कुछ घंटों के लिए शुरू करने पर विचार कर रहे हैं। वहीं पूर्णिमा की चांदनी रात में इसके लिए कुछ विशेष घंटे तय होंगे।’ उन्होंने बताया कि इसके लिए एंट्री टिकट भी रखे जाएंगे।
ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल बनवाने वाले मुगल बादशाह शाहजहां बीमार थे और आगरा किले में कैद थे। वह किले की दीवार में विशेष कोण पर लगे शीशे में से ताजमहल का दीदार करते थे। अभी भी लोकल गाइड अपने बैग में छोटा गोल शीशा लेकर चलते हैं और पर्यटकों को 17वीं सदी में बने इस खूबसूरत इमारत की झलक दिखलाते हैं।
मुगल काल में बने ताजमहल का नजारा रात में अलग ही रहता है। पूर्णिमा की रोशनी में सफेद संगमरमर की यह इमारत किसी आभूषण की तरह चमकती नजर आती है। रात में ताजमहल को देखने के लिए फिलहाल 400 पर्यटकों को 50-50 के आठ ग्रुप में भेजा जाता है। महीने में पांच रातों में ऐसा होता है।